Tuesday, 30 May 2017

Aasaan Hai : आसान है, जिसने ये मान लिया उसकी जीत पक्की है ~ GNIITHELP

Sab Kuch Aasaan Hai

यह कहानी है एक ऐसी लड़की की, जिसकी शादी उसके घरवालों ने मात्र 16 साल की उम्र में करा दी थी| उस नन्ही सी जान को तो शायद शादी का मतलब भी ना पता हो पर जब शादी करके माही अपने ससुराल आई तो उसे वहां बहुत प्यार मिला|
उसके ऊपर न तो कोई जिम्मेदारी थी और न ही घर के कामों का बोझ| सब उसे बहुत प्यार से रखते थे और कुछ ही महीनों में माही उस घर की बहु से बेटी बन गई| समय बीतता गया और कुछ सालों बाद माही ने दो बेटों को जन्म दिया| पूरा परिवार बहुत खुश था और सब उन दोनों बच्चों को बहुत प्यार करते और उनकी देखभाल करते|
समय अपनी रफ़्तार से चलता गया….बात एक शाम की थी, माही अपने पति सुरेश का इंतज़ार कर रही थी| काफी देर हो गई थी इसीलिए उसे काफी चिंता भी हो रही थी|
देर हो जाने की वजह से पूरा परिवार भी अब सुरेश को ढूंढने में जुट गया था कि तभी उनके दरवाज़े पर एक दस्तक हुई| दरवाजा खोला तो कुछ लोग सुरेश का शव लेकर आये थे जिसकी अभी अभी सड़क पर एक एक्सीडेंट में मौत हो थी|
खबर अभी सुनी ही थी कि माही तो अन्दर से जैसे बिल्कुल टूट ही गई थी| पूरा परिवार रो रहा था, बिलख रहा था सुरेश के मृत शरीर को देखकर, सब माही को हौसला दे रहे थे| जैसे तैसे माही ने खुद को संभाला क्यूंकि उसे अपने दोनों बच्चों की भी देख भाल करनी थी|
पति के बाद एक स्त्री का जीवन कैसा हो जाता है, यह बात तो केवल वह स्त्री ही समझ सकती है| समय बीतता गया और माही के लिए परिवार वालों का प्यार कम होता चला गया|
एक दिन सबने माही से कह ही दिया कि वो लोग उसे और उसके बच्चों का भरण पोषण नहीं कर सकते और बात यहीं खत्म नहीं हुई परिवार वालों ने माही को घर से निकल जाने तक को कह दिया|
माही बेचारी कहाँ जाती, पर फिर भी उसने अपना सामान बाँधा और अपने दोनों बच्चों को लेकर शहर से दूर चली गई| वहाँ बड़ी मुश्किल से उसने एक किराए का मकान लिया और 5000 रूपए की एक छोटी सी कंपनी में नौकरी पकड़ी|
माही के लिए मात्र 5000 रूपए में घर का खर्च और अपने बच्चों को पढ़ाने का खर्चा चला पाना बेहद कठिन था| जैसे तैसे दो रोटी कम खाकर माही ने अपने दोनों बच्चों को पढ़ाया|
ईश्वर की कृपा थी कि दोनों ही बच्चे पढाई में होशियार थे साथ ही घर के कामों में माँ का हाथ भी बंटाते थे| समय का पहिया अपनी रफ़्तार से घूमता गया…आज माही के दोनों बच्चे अच्छी कम्पनी में नौकरी कर रहे हैं|
माही ने अपनी मेहनत से बच्चों को उस मुकाम पर पहुँचाया जहाँ अब वो दोनों 100 गरीब बच्चों के पढाई का खर्च उठाने की छमता रखते हैं| आज माही अपने दोनों बच्चो के साथ ख़ुशी की जिन्दगी बिता रही है, किसी चीज की कमी नहीं है|
दोस्तों जिन्दगी कई बार हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है जब हमें लगने लगता है कि अब हमसे कुछ नहीं होगा| लेकिन इस दुनिया में न तो कुछ मुश्किल होता है और न कुछ आसान… सारा खेल इस मन का है| क्यूंकि जिस इंसान ने एक बार यह मान लिया कि उसके लिए वह काम मुश्किल है तो आज नहीं तो कल उनके लिए वह काम मुश्किल होता ही चला जाता है| जिन्दगी में बस यही मानने की देर है कि हर चीज़ आसान है, फिर देखिए कामयाब होना बच्चों का खेल बन जाएगा|
“मुसीबते तो सब पर ही आती है,
कोई बिखर जाता है तो कोई निखर जाता है”

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